सोमवार, 15 अप्रैल: गर्मी की लू से लोगों की जिंदगी मुश्किल हो गई है, लेकिन अब राहत की किरण दिखाई दे रही है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने 2024 Monsoon सीजन के दौरान सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान लगाया है, जो गर्मी और पानी की कमी से निपटने में मदद करेगा।
Monsoon के लिए अनुकूल परिस्थितियां
IMD के अनुमान के मुताबिक, जून से सितंबर के मॉनसून के दौरान औसत वर्षा 87 सेमी के लंबे समय के औसत का 106% होगी। इस सकारात्मक पूर्वानुमान के पीछे कई कारण हैं:
- एल निño (El Niño) का पतन: वर्तमान में प्रबल एल निño की स्थिति monsoon शुरू होने तक निष्प्रभावी हो जाएगी।
- ला निña (La Niña) का प्रभाव: अगस्त-सितंबर तक शांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान औसत से कम होने से ला निña की स्थिति बन सकती है, जो भारत में मजबूत मॉनसून का संकेत है।
- सकारात्मक भारतीय महासागर द्विध्रुवीयता (आईओडी): जब पश्चिमी हिंद महासागर का तापमान पूर्वी भाग से अधिक होता है, तो यह भी मजबूत मॉनसून का संकेत देता है।
- उत्तरी गोलार्ध में कम बर्फ़बारी: कम बर्फ़बारी से धरती जल्दी गर्म होगी, जिससे मॉनसून प्रभावित हो सकता है।
क्षेत्रीय असमानताएं और गहरी वर्षा
हालांकि समग्र रूप से मॉनसून का पूर्वानुमान अच्छा है, लेकिन देश में बारिश का वितरण असमान हो सकता है। शुरुआती अनुमानों से पता चलता है कि उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाके, पश्चिम, मध्य और दक्षिण भारत में चार महीने के दौरान सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है। लेकिन पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र, पूर्व और उत्तर-पूर्व भारत में सामान्य से कम बारिश होगी।
इसके अलावा, उच्च वर्षा वाले क्षेत्रों को जलभराव से निपटने की तैयारी करनी होगी, क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण बरसात के दिन कम हो सकते हैं और अधिक गहरी वर्षा हो सकती है।
मॉनसून का महत्व
मॉनसून भारत के कृषि क्षेत्र की रीढ़ है, जो देश की वार्षिक बारिश का लगभग 70% योगदान देता है। कृषि जीडीपी का लगभग 14% हिस्सा है, इसलिए एक स्वस्थ monsoon सीजन राष्ट्र की आर्थिक भलाई के लिए महत्वपूर्ण है।
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आईएमडी का मॉनसून पूर्वानुमान तीन बड़े पैमाने पर जलवायु प्रणालियों – एल निño, भारतीय महासागर द्विध्रुवीयता और बर्फ़बारी के आपसी संबंध पर आधारित है। इन कारकों को समझना मौसम वैज्ञानिकों को आने वाले मॉनसून सीजन का अनुमान लगाने में मदद करता है, जिससे किसान और नीति निर्माता सही निर्णय ले सकते हैं।