हम बचपन से पढ़ते आये हैं की ऊंट को रेगिस्तान का जहाज भी कहा जाता है। रेगिस्तान की रेत पर ऊंट बिना किसी मुश्किल के बहुत आसानी से चलते हैं, जिसके चलते रेगिस्तान में सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने के लिए ऊंट का इस्तेमाल किया जाता है।
रेगिस्तान में ऊंट बिना पानी के कई दिनों तक रह सकता है। परन्तु क्या आप ऊंट की ऐसी प्रजाति के बारे में जानते हैं जो पानी में तैर सकती है? जी हाँ , ‘खाराई’ ऊंट (Kharai Camels) की एक ऐसी प्रजाति है जो पानी में तैरती है और ऊंट की यह प्रजाति भारत में ही पायी जाती है। आइये जानते हैं कुछ और रोचक तथ्य इस प्रजाति के बारे में ।
Kharai Camels
आप सब ने सुना ही होगा कि ऊंट को ‘रेगिस्तान का जहाज’ कहा जाता है, लेकिन क्या आपने उनकी ऐसी प्रजाति के बारे में सुना है जो पानी में तैर सकती है? हाँ, आपने सही सुना। आज हम आपको ऊंट की ऐसी प्रजाति से अवगत कराएंगे, जिसे ‘खराई’ (Kharai Camels) कहा जाता है। ये भारत में कहां पाए जाते हैं और इनकी कुछ खासियतों के बारे में आइये जानते हैं ।
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10 Facts about Kharai Camels
- यह ऊंटों की प्रजाति गुजरात के कच्छ जिले के नमक दलदल में पायी जाने वाली एक दुर्लभ प्रजाति है।
- Kharai Camels (‘खाराई’ ऊंट) नाम उनका स्थानीय शब्द खारा से लिया गया है, जिसका अर्थ है खारा।
- इनमे होने वाली तैरने की क्षमता के कारण इन्हे ‘तैराकी ऊंट’ भी कहा जाता है।
- ये ऊंट गहरे पानी में जाकर अपना भोजन ढूंढने की काबीलियत रखते हैं।
- इन ऊंटों का मुख्य भोजन चेर नामक पौधा है, जिसके लिए ये समुद्र में लंबी दूरी तक तैरते हैं।
- सामान्यतः ये ऊंट एक समय में 3 किमी से अधिक दूरी तैर कर पार करते हैं , वो भी गहरे पानी में।
- खराई ऊँट अधिकतर मैंग्रोव (mangroves) पर भोजन करते हैं।
- खराई ऊँट नामक प्रजाति को राष्ट्रीय मान्यता भी मिल चुकी है।
- साल 2012 में किये गए आंकलन से इन खराई ऊंटों की संख्या 4,000 थी जो अब घटकर 2,000 से भी कम बची है।
- खराई प्रजाति की ऊंटनी का दूध बहुत महंगा होता है ,जिसे पीने से मिर्गी, डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारी से भी बचा जा सकता है।
Featured Image Source: vajiramias