PM Narendra Modi in Pictures During National Emergency 1975 – आपातकाल के दौरान ‘भेष बदलने के गुरु’ नरेंद्र मोदी: एक अद्भुत कहानी – जब भारत आपातकाल के 49 (49 years of Emergency) वर्ष पूरे होने का स्मरण कर रहा है, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विभिन्न छद्म वेशों में लिए गए चित्र सामने आए हैं। उस समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ता मोदी ने अपनी असाधारण प्रतिभा और साहस का परिचय देते हुए गिरफ्तारी से बचने के लिए कई भेष धारण किए। वे भूमिगत प्रतिरोध आंदोलन में भी सक्रिय रहे, लोगों से मिलते और संदेश फैलाते रहे।
National Emergency 1975 – मोदी के विभिन्न रूप – भेष बदलने में थे माहिर
PM Narendra Modi Photos During National Emergency 1975 – अपनी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाने जाने वाले मोदी ने कई पहचान अपनाईं, जिनमें ‘सरदारजी’, ‘बटुक भाई’, और ‘स्वामीजी’ शामिल थे। इन रूपांतरणों के माध्यम से वे पुलिस की नजरों से बचते हुए गुजरात भर में यात्रा कर सके और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के “दमनकारी शासन” के खिलाफ प्रतिरोध का संदेश फैलाते रहे।
स्वामीजी का वेश
Narendra Modi in Emergency time 1975 – एक अन्य मौके पर, मोदी ने ‘स्वामीजी’ का भेष धारण किया और भगवा वस्त्र पहने। एक कार्यकर्ता के घर जाते समय, उन्हें स्वामीनारायण संप्रदाय के एक आचार्य से उदयपुर से आए एक स्वामीजी के रूप में मिलवाया गया। इस मुलाकात ने असली संन्यासी और नकली स्वामीजी मोदी के बीच एक वाद-विवाद की स्थिति पैदा कर दी।
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सरदारजी का रूप
मोदी ने ‘सरदारजी’ का रूप भी धारण किया, जिसमें पगड़ी भी शामिल थी। पहचाने जाने के जोखिम के बावजूद, उन्होंने कॉलेज के छात्रों और बच्चों के साथ बातचीत की और अपनी पहचान छिपाए रखी।
जेल में प्रवेश का साहसिक कारनामा
सितंबर 1976 की एक घटना विशेष रूप से उल्लेखनीय है। मोदी को भावनगर जेल में कैद विष्णुभाई पांड्या और अन्य आरएसएस सदस्यों से संपर्क करने की आवश्यकता थी। ‘स्वामीजी’ के वेश में, वे अपने ‘अनुयायियों’ से मिलने के बहाने जेल में प्रवेश करने में सफल रहे। मोदी ने एक गुप्त ‘सत्संग’ का आयोजन किया और बिना किसी संदेह के जेल से बाहर निकल आए।
आरएसएस की रणनीति
आरएसएस ने अपने सबसे प्रभावी कार्यकर्ताओं को जेल से बाहर रखने के लिए मोदी की क्षमता का भरपूर उपयोग किया। उनकी कोशिशें भूमिगत अभियान को जारी रखने में महत्वपूर्ण साबित हुईं। मोदी की यात्राएँ उन्हें वडोदरा, अहमदाबाद और राजकोट जैसे शहरों तक ले गईं, जहाँ वे ‘बटुक भाई’ के नाम से जाने जाते थे।
इस प्रकार, आपातकाल (national emergency 1975) के दौरान नरेंद्र मोदी ने अपने साहस और चतुराई का परिचय देते हुए विभिन्न छद्म वेशों में प्रतिरोध आंदोलन को जीवंत रखा। उनकी यह कहानी आज भी प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।